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गीत(16/14) अमर रहें पतिदेव जगत में, निर्जल पावन व्रत बोले। शिवा अमर हैं गौरी-पति भी, जग कहता जिनको भोले।। व्रत-तप-त्याग रुचिर फल देते, यदि पावन मन से होते। त्यागी-तपी-व्रती इस जग ...